आने वाले कल को जानने के लिए जगाएं अपनी छठी इंद्री
पूर्वाभास यानी की आने वाले कल के बारें में जानना. प्राचीन कल में ऋषि – मुनियों के पास यह सिद्धि हुआ करती थी. छठी इंद्री सभी इंद्रीयो में सुस्त और सुप्तावस्था में होती है. भुकटी के मध्य निरंतर और नियमित ध्यान करते रहने से आद्न्या चक्र जाग्रत होने लगता है जो हमारे सिक्स्थ सेंस को बढ़ाता है. योग में त्राटक और ध्यान की कई विधियां बताई गई हैं. आप इसका अभ्यास कर सकते हैं.
प्राकृतिक हो स्थान : अभ्यास के लिए सर्वप्रथम जरुरी है साफ और स्वच्छ वातावरण, जहाँ फेफड़ों में ताज़ी हवा भरी जा सके अन्यथा आगे नहीं बढ़ा जा सकता. शहर का वातावरण कुछ भी लाभदायक नहीं है, क्योंकि उसमें शोर, धूल, धुएं के अलावा जहरीले पदार्थ और कार्बन डॉक्साइट निरंतर आपके शरीर और मन का क्षरण करती रहती है. स्वच्छ वातावरण में सभी तरह के प्राणायाम को नियमित करना आवश्यक है.
मौन ध्यान : भुकटी पर ध्यान लगाकर निरंतर मध्य स्थिति अंधेरे को देखते रहे और यह भी जानते रहे की श्वास अंदर और बाहर हो रही है. मौन ध्यान और साधना मन और शरीर को मजबूत तो करती ही है, मध्य स्थित जो अंधेरा है वही काले से नीला और नीले से सफ़ेद में बदलता जाता है. सभी के साथ अलग – अलग परिस्थितियां निर्मित हो सकती हैं. मौन से मन की क्षमता का विकास होता जाता है जिससे काल्पनिक शक्ति और आभास करने की क्षमता बढ़ती है.
इसी के माध्यम से पूर्वाभास और साथ ही इससे भविष्य के गर्भ में झांकने की क्षमता भी बढ़ती है. यही सिक्स्थ सेंस के विकास की शुरुआत है. या दरवाजे पर कोई खड़ा है, इस बात का हमें आभास होता है. यही आभास होने की क्षमता हमारी छठी इंद्री के होने की सूचना है. जब यह आभास होने की क्षमता बढ़ती है तो पूर्वाभास में बदल जाती है.
Sanjay Jangam is a Chief Content Producer with HeloPlus. He covers Technology, Business, entertainment & Personal finance stories.