इन कारणों से बच्चे सोते समय करते हैं बिस्तर गीला

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चिकिस्तकों का कहना है की माता – पिता में से अगर किसी एक ने अपने बचपन में ऐसा किया हो तो बच्चे के भी बिस्तर गीला करने की संभावना करीब ५० फीसदी तक बढ़ जाती है. बचपन में लगभग सभी बच्चे रात को सोते समय बिस्तर गीला करते हैं. कई बार देखा जाता है बच्चे बड़े होकर अपनी इस आदत को सुधर लेते हैं, तो किसी में यह बीमारी का कारण भी बन जाती है, चिकिस्तकों का कहना है कि माता – पिता में ऐसा किया हो तो बच्चे के भी बिस्तर गीला करने कि संभावना करीब ५० फीसदी तक बढ़ जाती है.

वहीँ अगर बचपन में अभिभावकों में से किसी को भी बिस्तर गीला करने की आदत नहीं थी म तो उनके बच्चे में इसकी संभावना घटकर १५ फीसदी तक रह जाती है. जानकारों का मानना है कि माता – पिता को यह समझना जरुरी है कि बिस्तर गीला करने के पीछे कई अन्य वजहों के अलावा ज्यादातर आनुवांशिक होती है.

इन कारणों से बच्चे सोते समय करते हैं बिस्तर गीला
इन कारणों से बच्चे सोते समय करते हैं बिस्तर गीला

बिस्तर पर पेशाब करने वाले बच्चों में आर्जिनीन वैसोप्रेसिन हार्मोन का स्तर नींद में निचे चला जाता है, जो किडनी के द्वारा मूत्र निर्माण की प्रक्रिया को धीमा करता है. चुकी नींद में इस हार्मोन का स्तर निचे चला जाता है, इसलिए मूत्र निर्माण की प्रक्रिया तेज हो जाती है और मूत्राशय तेजी से भर जाता है. पांच साल की उम्र तक करीब ८५ फीसदी बच्चे पेशाब पर नियंत्रण करना सीख जाते हैं. लड़कियों की तुलना में लड़कों में १२ साल की उम्र तक बिस्तर गीला करने की प्रवृति अधिक होती है.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने यह भी कहा है की बच्चों के बिस्तर पर पेशाब करने का संबध कब्ज या अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) से भी हो सकता है, इसलिए माता – पिता को ऐसी स्थिति में बच्चे को बाल चिकिस्तक के पास ले जाना चाहिए.

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