नौकरी छोड़कर बनाया 20 हजार करोड़ का बिजनेस, जानिए कैसे

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RG Chandramogan Success Story : दोस्तों भारत में नए स्टार्टअप का लहर चालू हैं। लेकिन ऐसे भी कई स्टार्टअप पिछले बहुत सालो से चालू किये थे वो आज भी अपना वर्चस्व कायम रखकर आगे बढ़ रहे हैं। हां तो ऐसेही एक भारत के सफल बिजनेसमैन की कहानी आपको बताने वाला हूँ जो कभी हैंड क्राफ्ट का कारोबार करते थे वो आज पुरे 20 हजार करोड़ के मालिक हैं।

कौन है आरजी चंद्रमोगन

तमिलनाडु के पटाखा शहर कहे जाने वाले शिवकाशी में आरजी चंद्रमोगन का जन्म 1970 हुआ था. उन्होंने वही से अपनी शुरुवाती पढाई की हैं। शिवकाशी तो माचिस बनाने वाला शहर के नाम से पहचान हैं फिर भी उनका जीवन में अंधेरा था। उनके पिताजी का प्रोविजनल स्टोर था वो उनके पिताजी नहीं चला सकते थे। फिर उन्होंने 21 साल की उम्र में अपनी पिता की संपत्ति 13,000 रुपये में बेच दी. तब उनके दिमाग में आइस कैंडी का व्यवसाय शुरू करने का सोचा लिया इसलिए चंद्रमोगन ने चेन्नई के रॉयपुरम में 250 वर्ग फुट की जगह किराए लेकर नए ब्रांड का नाम सूर्य की किरणों पर तमिल शब्द अरुणोदयम पर रखना चाहते थे. यही से 1970 में अरुण का जन्म हुआ।

RG Chandramogan Success Story

शुरुआत में आइसक्रीम बेचने का काम किया

फिर यही आइसक्रीम को बेचना शुरू कर दिया। उनका आइसक्रीम का स्वाद सबको पसंद आया फिर कॉलेज के छात्रों के लिए पुशकार्ट के माध्यम से स्टिक और कप आइस कैंडी बेचना चालू किया. यह काम को करने के लिए अरुण के पास सिर्फ 3 कर्मचारी, छह तिपहिया साइकिलें और 15 पुशकार्ट थे. उनका यह आइडिया बहुत पसंद हुआ और उनके ब्रांड ने पहले साल में 1.5 लाख का कमाई कर दिया। फिर 1974 तक, 95% कॉलेज कैंटीन और शिप चांडलर बाज़ार में बिक्री करते थे. उन्होंने साल 1981 तक, अरुण की आइसक्रीम की बिक्री 4.25 लाख हो गई थी. यह बिजनेस बहुत बढ़िया था लेकिन मौसमी और सिमित था. उन्होंने सोचा की सिर्फ छात्रों को फोकस करने से बिजनेस बढ़ेगा नहीं इसलिए उन्होंने आइसक्रीम और डेयरी का विस्तार करने का सोच लिया. फिर साल 1981 में अरुण आइसक्रीम के बिजनेस का लंबा सफर शुरू हुआ।

1985 में सबसे बड़ा विक्रेता बने

आरजी चंद्रमोगन दूध से बनी आइसक्रीम बनाकर उसकी बिक्री करना चाहते थे. लेकिन यह उपलब्धि पाना आसान नहीं थी. 1980 के दशक में दासप्रकाश, एचयूएल की क्वालिटी वॉल्स और जॉय दक्षिण भारत में बिजनेस में आगे थे. भारत में सिर्फ तमिलनाडु में ही 3500 आइसक्रीम ब्रांड थे. लेकिन उन्होंने अपनी आइडिया से ऐसा कुछ करके किया की किसीने सोचा भी नहीं होगा। उन्होंने बने आइसक्रीम को चावल के साथ पैक किया और ट्रेनों में रख दिया। फिर, तमिलनाडु के ग्रामीण हिस्सों में उनके आइसक्रीम पार्लरों में बिक्री होने लगी. इस आइडिया की वजह से उन्हें कोल्ड स्टोरेज और वितरण में काफी पैसों की बचत हो गई। फिर ऐसा उनका कारोबार ज्यादा बढ़ा इसलिए 1985 तक, अरुण तमिलनाडु में सबसे बड़े आइसक्रीम विक्रेता बन गए। 1986 में उन्होंने कंपनी का नाम बदलकर वर्तमान Hatsun Agro Product कर दिया।

1995 तक, कंपनी का विस्तार केरल और आंध्र प्रदेश में किया, उन्होंने 700 आउटलेट खोलकर दक्षिण भारत में सबसे बड़ी कंपनी गई. आरजी चंद्रमोगन ने लिक्विड मिल्क मार्केटिंग (अरोक्या) में भी विविधता लानी शुरू कर दी. उन्होंने ने इबाको के द्वारा प्रीमियम आइसक्रीम पार्लर खोले।

कंपनी से जुड़े 4 लाख से ज्यादा किसान

Hatsun Agro Product Limited कंपनी आज की तारीख में 10 हजार गांव से 4 लाख से ज्यादा किसानों से 35 लाख लीटर दूध की खरीद रही है. जिसका इस्तेमाल कंपनी उनके ब्रांड अरुण आइस क्रीम, आरोक्य मिल्क, हटसन दही, हटसन पनीर और इबको आदि बनाने में करती है. आज के समय में हटसन दुनिया भर के 38 से अधिक देशों में अपने प्रोडक्ट्स को एक्सपोर्ट करती है। हटसन ज्यादा से अमेरिका, मध्य पूर्व और दक्षिण एशियाई बाजारों में अपने उत्पादों का निर्यात करता है।

कंपनी की कुल संपत्ति

आर जी चंद्रमोगन दक्षिण भारत के बिजनेस बड़े में से एक हैं। इस का कारण हैं उनकी सोच और मेहनत की वजह से उन्होंने यह सब हासिल किया हैं। Hatsun Agro Product Limited बिक्री के हिसाब से देश की सबसे बड़ी डेयरी कंपनियों में से एक है. और 38 से अधिक देशों में अपने प्रोडक्ट्स बेचती हैं। 1970 में सिर्फ 13,000 रुपये से बिजनेस शुरू करने वाले आरजी चंद्रमोगन आज 20,000 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं।

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