बीकानेर में भुजिया बेचकर हल्दीराम ने कैसे 80 देशों में बिजनेस बढ़ाया
Haldiram Success Story : भारत में कई दशक से बहुत लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने बिजनेस करके अपना नाम और गांव, शहर का नाम भी ऊँचा कर रहे हैं। देश में बिजनेस की शुरुआत तो बहुत पहले से ही होने लगी हैं। ऐसे ही भारत में राजस्थान के बीकानेर से भुजिया से बिजनेस की सफर शुरू करने वाली हल्दीराम आज के वक्त में दुनिया भर के 80 देशों में बिजनेस कर रही है. इन्होने इससे 4 कंपनी खोली हैं। हल्दीराम सिर्फ 8 वी पास हैं लेकिन उनकी स्किल की वजह से उन्होंने बहुत बड़ा मुकाम हासिल करके दिखाया हैं। तो जानिए हल्दीराम की सक्सेस स्टोरी।
हल्दीराम कैसा बना इतना बड़ा ब्रांड
हल्दीराम की शुरुआत 1937 में हुई हैं। लेकिन बीकानेर के भीखाराम अग्रवाल ने भुजिया का कारोबार बहुत पहले ही शुरू किया था। बीकानेर में भीखाराम भुजिया बाजार में काम करते थे. भीखाराम की बेटी घर में काफी बढ़िया स्वाद की क्रिस्पी भुजिया बनाती थी फिर उनके पिताजी ने भुजिया को मार्केट में पहुंचाने का प्लान किया. वही भुजिया उनके परिवार का आय का मुख्य स्त्रोत बना. वही से लेकर अब तक के हल्दीराम कंपनी के सफर में कई बार उतार-चढ़ाव का सामना किया हैं. लेकिन उन्होंनेस्नैक्स इंडस्ट्री में अपना वर्चस्व हमेशा बरकरार रखा है. भारत में स्नैक्स इंडस्ट्री में 36 फीसदी हिस्सा अकेले हल्दीराम कंपनी का है.
बेसन छोड़कर मोठ दाल की भुजिया लाए
भीखाराम के पोते गंगा बिशन अग्रवाल की इस बिजनेस में कदम रखा। गंगा बिशन अग्रवाल को ही लोग हल्दीराम के नाम से जानते थे. उन्होंने भुजिया को बनाने के लिए बेसन की जगह मोठ दाल का इस्तेमाल किया. उन्होंने मोठ दाल की भुजिया तैयार किया और बेचना शुरू किया फिर इस प्रकार की अलग स्वाद वाली भुजिया सब लोगों ने बहुत पसंद आयी। Haldiram Success Story.
महाराजा के नाम से 5 पैसा किलो में बिकता था भुजिया
गंगा बिशन अग्रवाल ने अपने बिजनेस को और आगे लेकर जाने के लिए उन्होंने बीकानेर के महाराजा डूंगर सिंह के नाम से भुजिया का नाम डूंगर सेव रखा. इसी वजह से सिर्फ नाम बदलने से भुजिया का नाम तेजी से फैला. तब उस भुजिया महाराज के नाम से बना प्रीमियम भुजिया सिर्फ 5 पैसा प्रति किलो रखा उसे लोगों ज्यादा खरीदने लगे. फिर कुछ साल बाद डूंगर सेव को बीकानेर में इसे हल्दीराम की भुजिया कहने लगे। बाद में गंगा बिशन अग्रवाल ने 1937 में हल्दीराम कंपनी के तौर पर आधिकारिक नाम रख दिया।
बटवारा होने के बाद भी बिजनेस बढ़ा
1955 में हल्दीराम कंपनी ने कोलकाता में भी भुजिया का बिजनेस शुरू करने का निर्णय लिया. उस वक्त हल्दीराम भुजियावाला नाम रखकर कंपनी शुरू की. फिर एक दशक में हल्दीराम भुजियावाला कोलकाता का सबसे मशहूर नाम बन गया. लेकिन उसी वक्त में हल्दीराम के बड़े बेटे सत्यनारायण ने अपने पिता और भाई से अलग होने का निर्णय लिया। पिता और भाई से अलग होने के बाद सत्यनारायण ने हल्दीराम एंड संस नाम से अलग दुकान खोली। उसे आगे जाकर हल्दीराम के पोतों मतलब सत्यनारायण के बेटों ने महाराष्ट्र के नागपुर जिले में बिजनेस का दायरा बढ़ाया.
हल्दीराम में जाना कि नागपुर में साउथ इंडियन डिशेज बहुत ज्यादा पसंद करते हैं इसलिए उन्होंने नागपुर में साउथ इंडियन डिशेज बेचनी शुरू की. फिर आगे कंपनी पीछे मूड के नहीं देखा उन्होंने लोगों को और क्या पसंद आएगा इसको ध्यान में रखकर धीरे धीरे कई प्रकार के स्नैक्स लॉन्च किये और इस तरह कंपनी नागपुर से पुरे भारत ही नहीं पूरी दुनिया में फैली हैं।
हल्दीराम की संपत्ति कितनी हैं
राजस्थान से शुरू किया भुजिया बेचने का बिजनेस दक्षिण और पूर्वी भारत से कोलकाता में 1941 में ‘हल्दीराम भुजियावाला’ नाम से बिजनेस को चालू किया। पश्चिमी भारत के बिजनेस को 1970 में नागपुर के ‘हल्दीराम फूड्स इंटरनेशनल’ नाम से शुरू किया है और उत्तरी भारत का बिजनेस दिल्ली में 1982 में ‘हल्दीराम स्नैक्स एंड एथनिक फूड्स’ नाम से बिजनेस शुरू किया है। लेकिन अमेरिका ने ऐसेही देश में फैलाकर हल्दीराम ने 80 देशों में अपना बिजनेस का विस्तार बढ़ा लिया हैं। वर्तमान में हल्दीराम का मार्केट कैप 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा है.
हल्दीराम का अगला लक्ष्य
हल्दीराम आज के वक्त में भारत का सबसे बड़ा स्नैक ब्रांड है, जिसका लक्ष्य आने वाले कुछ सालों में दुनिया का सबसे बड़ा ब्रांड बनना है। कंपनी का मूल्य अब लगभग रु. 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की बिक्री के साथ हो गया हैं। प्रति वर्ष 2,700 करोड़ रुपये का सेल हो रहा हैं। और पूरे भारत और विदेशों में 3200 स्टोरों में फैले 37,000 से अधिक लोगों का कर्मचारी के आधार पर बिजनेस बढ़ रहा हैं।
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Raj Jangam is a Senior Sub Editor with HeloPlus. He covers Technology, Business, Entertainment & Personal finance stories.